RAM NAVAMI 2024: रामनवमी पर करे ये काम, मिलेगा आपको लाभ

RAM NAVAMI 2024: भारतीय साहित्य का एक ऐतिहासिक महाकाव्य, रामायण, हमारी संस्कृति और धार्मिक विचारधारा का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इस काव्य की महिमा को समझने के लिए, हमें विभिन्न कालों में रामायण के विभिन्न कवियों और संस्कृति के अन्य अंगों द्वारा पुनः उसकी रचना और पुनर्निर्माण की गहरी जांच की जरूरत होती है। इसी में एक ऐतिहासिक कवि का योगदान, रामानामी, बहुत महत्वपूर्ण है।
रामानामी, जिनका असली नाम तुलसीदास था, भारतीय साहित्य के महान कवि हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के काशी नगर में सन् १५४० में हुआ था। तुलसीदास का जीवन और कार्य रामायण के अत्यधिक महत्वपूर्ण पाठकों में सदैव विशेष स्थान रखता है। रामायण को उनके द्वारा हिंदी में रचित ‘रामचरितमानस’ नामक काव्य में प्रस्तुत किया गया।
तुलसीदास का जीवन काफी रोमांचक और प्रेरणादायक है। वे एक साधारण ब्राह्मण परिवार से संबंधित थे, लेकिन उनकी शिक्षा और संस्कृति के प्रति उत्साह और उनकी भक्ति राम के प्रति विशेष थी। उनका जीवन ध्यान, भक्ति और साधना के परिपेक्ष में निरंतर गुजरा।
तुलसीदास का योगदान रामायण को हिंदी भाषा में पहुंचाने में निहित है। उन्होंने ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से भारतीय समाज को रामायण की कहानी, उसके महत्वपूर्ण सिद्धांतों और राम के चरित्र की महिमा को समझाया। उनकी रचनाएँ ध्यान, भक्ति, और नैतिकता के संदेशों से भरी हैं और आज भी उन्हें पढ़ा और समझा जाता है।
तुलसीदास के रचनाकारी योगदान का महत्व उनकी स्वतंत्र भाषा, सार्थक अभिव्यक्ति और गाथा को हिंदी भाषा में प्राचीन संस्कृत की तुलना में प्रभावशाली बनाता है। उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं और हमें उनके द्वारा दिये गए धर्म, संस्कृति और नैतिकता के संदेशों को समझने में मदद करती हैं।
तुलसीदास का जीवन और उनके रचनाकारी योगदान आज भी हमें एक उत्कृष्ट
RAM NAVAMI 2024: श्री राम जी की जन्म कथा ?

हिंदू धर्म के शास्त्रों में यह कहा हैं कि श्री राम जी का जन्म त्रेतायुग में रावण जैसे अत्याचारों का अंत करने और धरती को पूर्ण रूप से सुवच्छ के लिए हुआ था। हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार तो श्री राम जी का जन्म त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को अंत करने और धरती पर दोबारा से शांति और धर्म की पूर्ण स्थापना के लिए ही हुई थी। श्रीराम चन्द्र जी का जो जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के पावन दिन पर ही पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से हुई हैं, जो राजा दशरथ जी के घर में हुआ था। ये रामनवमी का त्यौहार काई सालों से मनाया जा रहा है।
और हिंदू पुराणों में ये भी कहा गया है, कि राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। जिनसे उनकी कोई भी पत्नी उनको संतान सुख प्राप्त नहीं करवा सकती थीं। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ करने का सुजाव दिया । इसके बाद दशरथ ने अपनी जमाई, महर्षि ऋष्यश्रृंग से यज्ञ कक्ष प्राप्त किया । उसके बुरे यज्ञकुंड में से अग्नि देव एक खीर की कटोरी लेकर बहार निकले या यज्ञ समाप्त होने के बाद राजा दशरथ ने तीन पत्नियों को खिर पिलाई खिर पीने के बाद तीन पत्नियों कुछ महीने बाद गर्भवति हुई। उसी के ठीक 9 महीने बाद तीनो पत्नियों के पुत्र हुए सबसे बड़ी रानी कौशल्या माता ने प्रभु श्री राम जी को जन्म दिया। और दूसरी रानी के केकई माता ने प्रभु भरत जी को जन्म दिया और तीसरी रानी सुमित्रा माता ने जुड़वा पुत्र प्रभु लक्ष्मण जी और प्रभु शत्रुधन जी को जन्म दिया। भगवान श्रीराम का जन्म धरती पर दुष्ट प्राणियों को संघार करने के लिए हुआ था।
राम नवमी की पूजा कैसे होती है?
रामनवमी का त्योहार हिंदू धर्म में मनाया जाता है, या भी कहा जाता है कि इस पर्व के दिन मां दुर्गा की नवरात्रों का समापन होता है। हिंदू धर्म के अनुसार तो रामनवमी के दिन घरों में पूजा अर्चना होती है। और रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल चढ़ाया जाता हैं, रोली और लेपन चढ़ा कर उनका पूजा अर्चना किया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल के दाने चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बादअर्चना की जाती है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी सहते है, और अपने परिवार के लिए सुख शांति की कामना करते हैं।
राम नवमी का कुछ खास महत्व ?
यह पर्व को पुरी भारत वर्ष में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ सब कोई मनाते है। रामनवमी के पावन दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति हो जाती है। हमारे हिंदु धर्म के शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी जैसे वीर पुरुष का जन्म इस धरती पर हुआ था। अत: इस शुभ तिथि को उनके भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं। एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार बनने में भाग लेते है।
रामनवमी 2024 कब मनई जा रही है?
शुक्ल पक्ष नवमी 17 अप्रैल को उदया तिथि में हम रामनवमी को मनाया जाएगा। इस वर्ष हम नवमी तिथि का 16 अप्रैल की दोपहर 01.24 बजे प्रवेश हो रहा है, और 17 की दोपहर 3.14 बजे तक रहेगा। श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। राम नवमी पर भगवान राम जी की पूजा करने से यश और वैभव की सभी को प्राप्ति होती है, और जीवन में सुख समृद्धि हमेशा बनी रहती है,धैर्य शक्ति का विस्तार माना जाता है, और यह मान्यता है कि राम नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में किए गए काम सिद्ध हो जाते हैं, इस दिन घर में रामायण का पाठ या राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की हर दुःख दूर हों जाती है,ग्रहों की अशुभता से राहत मिलती है।