Aditya L1: जो हम अपनी आखों में से नहीं देख सकते हैं, वह सब कुछ दिखाएगा आदित्य एल-1 की पढ़ें पूरी खबर

Aditya L1: जो हम अपनी आखों में से नहीं देख सकते हैं, वह सब कुछ दिखाएगा आदित्य एल-1 की पढ़ें पूरी खबर को

Aditya L1
Aditya L1/hinditv.in

Aditya L1: भारतीय अंतरिक्ष जैसे एजेंसी ने यह बताया हैं,कि पृथ्वी से सूर्य के अध्ययन में कई तरह की रुकावट आई हुई हैं। पृथ्वी की वायुमंडल और विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र सूर्य से आने वाली विकिरण व सौर तूफानों से हमें बहुत बचाते हैं।सूर्य बेहद गतिशील
तारा होती है। इसकी गतिशीलता हमारे देखने की कुछ क्षमताओं से कहीं आगे तक फैली हुई हैं। सूर्य के भीतर हर समय
विस्फोट होती रहती हैं, जिनसे सौर मंडल में कुछ भारी मात्रा में ऊर्जा की उत्सर्जन होती है। अगर ऐसे में किसी विस्फोट
से निकली ऊर्जा बड़ी मात्रा में पृथ्वी की ओर से आए, तो इससे पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में कई ऐसे तरह की गड़बड़ियां व
उथल पुथल पैदा तक हो सकती है। इसरो ने आदित्य मिशन के साथ साथ सूर्य को लेकर यह जानकारियां दीं हुई हैं।

भारतीय अंतरिक्ष में एजेंसी ने यह बताया है कि पृथ्वी से सूर्य के अध्ययन में कई ऐसी तरह की रुकावट तक आती हैं।
पृथ्वी का वायुमंडल में और विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र सूर्य से आने वाली विकिरण व सौर तूफानों से हमें दूर रखती हैं। इसी
वजह से हम इन विकिरणों और सौर तूफानों की कई वास्तविक प्रकृति और प्रवृत्ति को पृथ्वी पर रहते हुए समझ नहीं पाते
हैं। आदित्य-एल1तो पृथ्वी के इस सुरक्षा कवच से काफी बाहर की रहकर सूर्य की निगरानी तक करेगा।
सीधे परिक्रमा नहीं करेगा ये कभी। सूर्य की ओर जाने में मंगल ग्रह की ओर से जाने के मुकाबले 55 गुना से ज्यादा ऊर्जा
की खपत होता है।

सूर्य की परिक्रमा करने के लिए अभियान भेजना से ज्यादा खर्चीला व जटिल होती हैं। इसरो ने
कुशलता से आदित्य को एल1 के पास हेलो ऑर्बिट में स्थापित कि गई हैं। इसी वजह से नासा के सूर्य मिशन पार्कर प्रोब की
तरह इसरो की आदित्य सीधे से सूर्य की परिक्रमा नहीं करेंगी। बल्कि, हेलो ऑर्बिट में रहते हुए हैं, पृथ्वी के साथ-साथ सूर्य
की परिक्रमा तक करेगा।

Aditya L1: की क्या काम है?

इसके अलावा आदित्य L1 सौर हवाओं के कुछ विभाजन और तापमान की स्टडी करेंगी एवं सौर वायुमंडल को समझने की
प्रयास करेंगी आदित्य एल1 अपने अगले 5 सालों तक सौरमंडल की स्टडी तक करेंगी। यह भारत की पहली अंतरिक्ष
ऑब्जर्वेटरी हुई है और इसको सफलतापूर्वक ऑर्बिट में तो पहुंचाने के लिए इसरो के वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग कर
रही हैं।

आदित्य L1 में L1 की फुल फॉर्म क्या होती है?

क्या यह है आदित्य-एल? आदित्य एल1 एक विशेष कक्षा से सूर्य की अध्ययन करेंगी। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी
दूर लैग्रेंज पॉइंट 1 (एल1) नामक स्थान पर स्थित होगी ही, जो बिना किसी रुकावट के सूर्य के निरंतर अवलोकन की
अनुमति देती है।

क्या आदित्य एल1 कि मिशन सफल है? और आदित्य l1 अभी कहां पर है?

आदित्य-एल1 की हेलो-ऑर्बिट सम्मिलन सफलतापूर्वक पूरा हो गई हैं। इसके सौर वेधशाला अंतरिक्ष यान तक, आदित्य-
एल1 की हेलो-ऑर्बिट इंसर्शन (एचओआई) 6 जनवरी, 2024 (आईएसटी) को 16.00 बजे (लगभग) पूरा कि गई हैं।
भारत के तो पहले सौर मिशन, आदित्य एल1 के हिस्से के रूप में, वेधशाला को तो अंतिम कक्षा में स्थापित कि गई है
और लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर अपने गंतव्य पर पहुंच गई है। इस महान उपलब्धि के लिए तो संपूर्ण भारतीय वैज्ञानिक समुदाय
तक को बधाई हैं!

आदित्य l1 को कौन सी रॉकेट ले गया? और आदित्य L1 मिशन कब आएगा?

Aditya L1
Aditya L1/hinditv.in

पीएसएलवी-सी57 रॉकेट द्वारा कुछ आदित्य-एल1 की प्रक्षेपण 2 सितंबर को इसरो द्वारा सफलतापूर्वक पूरी कि गई थी।
भारत की पहली सोलर मिशन 'आदित्य L1' आज शाम 4 बजे अपने लक्ष्य पर होगी। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो इसे
कमांड देकर L1 पॉइंट की हेलो पर ऑर्बिट पर पहुंचा देगी। इस तरह तो 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सूर्य
की ओर शुरू हुई कुछ 15 लाख किलोमीटर तक की यह यात्रा में अपने मुकाम पर पहुंच जाएगी ।
आदित्य एल1 मिशन में कौन सा कंपनी शामिल हुई है?

लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) कंपनी शामिल हुईं हैं।
एलएंडटी ने तो आदित्य एल1 मिशन के लिए महत्वपूर्ण स्पेस-ग्रेड हार्डवेयर तक का निर्माण किया हैं। सोमवार को, ऐसे
एनएसई पर एलएंडटी के शेयर शुरुआती कारोबार में 1.5 फीसदी चढ़कर 2,742 रुपये के दिन के उच्चतम स्तर पर पहुंच
गई हैं।

आदित्य एल1 सूर्य के कितने करीब है?

उपग्रह ने ऐसे चार महीनों की अवधि में लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर (930,000 मील) की दूरी तय की हुई हैं, जो
पृथ्वी-सूर्य की दूरी 150 मिलियन किलोमीटर (93 मिलियन मील) तक का केवल एक अंश है। आदित्य-एल1 की ओर से
आप सभी को शुभकामनाएँ!
क्या आदित्य l1 अपनी मंजिल तक पहुंचा पायेगी?
भारत की पहला ऐसा सौर अवलोकन मिशन अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंच गई है । जो शनिवार को आदित्य-एल1
अंतरिक्ष में उस स्थान पर पहुंच जाएंगी जहां से वह लगातार सूर्य को देख पायेगी।

L1 बिंदु पृथ्वी से कितनी दूरी पर है?
आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन की किलोमीटर दूर स्थित सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु के चारों ओर एक 'हेलो
कक्षा' में संचालित हुआ हैं।

facebook se paise kaise kamaye: Facebook से पैसा कमाने का नया तरीका $1200 हर महीने

Leave a Comment