Bihar के एक गांव में भ्रष्टाचार का खुलासा: सड़क निर्माण में हुई घपलेबाजी पर गांववाले हुए एकजुट
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के नरकटिया विधानसभा क्षेत्र के छौड़ादानो प्रखंड के भेलवा पंचायत के बुधवहाँ गांव के सात नंबर वार्ड में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जो भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का कड़ा उदाहरण बन चुकी है। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंका दिया, बल्कि यह बिहार के अन्य हिस्सों में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाने का एक जरिया बन गया है।
सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार का मामला
बीती रात जब ठेकेदार सड़क निर्माण के कार्य को पूरा करके चला गया, तो किसी ने नहीं सोचा था कि सुबह जब लोग जागेंगे, तो उन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि ठेकेदार ने पूर्व में PCC (पोरस कंक्रीट) सड़क पर अलकतरा (Asphalt) के साथ 1.2 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया था। लेकिन यह निर्माण इतना घटिया था कि सड़क की गुणवत्ता को देखकर किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि यह निर्माण एक ठेकेदार द्वारा किया गया है।
सड़क की सतह पूरी तरह से उबड़-खाबड़ और असमान हो गई थी। यह पिच (Asphalt) सड़क को देखकर ऐसा लगता था कि जैसे इसे बिना किसी मानक के बनाए गए हो। जैसे ही गांववाले सुबह उठे, उन्होंने देखा कि सड़क पर डामर की परत घिस चुकी थी और सड़क की पूरी सतह ही उखड़ चुकी थी। यह स्थिति देख गांववाले हैरान रह गए, क्योंकि यह सड़क उनके गांव के विकास के लिए बनाई गई थी, न कि उनके लिए किसी नए परेशानी का कारण बनने के लिए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ गांववालों का विरोध
गांव के लोग इस घटिया निर्माण को देखकर उग्र हो गए और उन्होंने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी। कुछ ही देर में पूरा गांव इस मुद्दे पर एकजुट हो गया। लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्थानीय विधायक डॉ. शमिम अहमद और सांसद संजय जायसवाल से इस मामले की जांच की मांग की। गांव के लोगों ने इस सड़क निर्माण में अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और प्रशासन से इसे सही करने की अपील की।
ग्रामीणों ने इसे सिर्फ एक सड़क का मामला न मानते हुए, इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया। उनका कहना था कि सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है और विकास कार्यों के नाम पर सिवाय जनता को ठगा जा रहा है।
स्थानीय मीडिया की भूमिका
जैसे ही यह घटना सामने आई, गांव के कुछ गणमान्य व्यक्तियों ने इसे और गंभीरता से लिया। उन्होंने मुझे इस बारे में सूचित किया और मैं अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचा। मीडिया के माध्यम से इस भ्रष्टाचार को उजागर करना जरूरी था ताकि प्रशासन इस पर उचित कार्रवाई कर सके। हमने इस मामले को व्यापक स्तर पर प्रसारित किया ताकि इसके खिलाफ जन जागरूकता फैलाई जा सके और दबाव बनाया जा सके कि जांच की प्रक्रिया शीघ्र शुरू हो।
मीडिया की भूमिका इस प्रकार महत्वपूर्ण बन गई कि यह न केवल गांव के लोगों का साथ दे रही थी, बल्कि यह सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों पर दबाव बनाने का भी एक जरिया बन रही थी। इस मामले को लेकर प्रशासन के ऊपर दवाब बढ़ा और क्षेत्रीय अधिकारियों ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया।
प्रशासन से जांच की मांग
गांववालों ने इस भ्रष्टाचार की जांच के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा और तत्काल कार्रवाई की मांग की। कुछ गणमान्य व्यक्तियों ने जिलाधिकारी (DM) साहब से भी संपर्क किया और इस मामले की गंभीरता को बताया। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले सामने न आएं।
स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर इस सड़क को सही तरीके से बनाया जाता, तो यह उनके लिए विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होता। लेकिन इस भ्रष्टाचार के चलते ना केवल उनकी उम्मीदों को धक्का लगा, बल्कि सरकारी पैसे का भी दुरुपयोग हुआ। ग्रामीणों ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई, ताकि भविष्य में इस प्रकार के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए।
Bihar में भ्रष्टाचार पर सवाल
यह घटना बिहार के लिए एक कड़ी चेतावनी बनकर उभरी है। जहां एक ओर Bihar में लगातार विकास कार्यों की बातें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार और लापरवाही के ऐसे उदाहरण जनता के बीच आ रहे हैं। यह घटना यह साबित करती है कि बिहार में भ्रष्टाचार की समस्या केवल सरकारी कार्यालयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास कार्यों तक भी पहुंच चुकी है।
वहीं, बिहार सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह किस तरह से इस तरह के भ्रष्टाचार को खत्म कर सके। हालांकि इस मामले में प्रशासन द्वारा कार्रवाई किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन यह देखना होगा कि इस मामले की जांच सही तरीके से होती है या नहीं।
निष्कर्ष:-
इस मामले ने यह साबित कर दिया कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में यदि सही प्रशासनिक कार्रवाई हो, तो जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी हो सकती है। यह एक उदाहरण है कि अगर लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, तो प्रशासन को कार्रवाई करनी ही पड़ती है। इस घटना से यह भी साबित होता है कि मीडिया और जन प्रतिनिधियों का इस तरह के मामलों में सक्रिय होना जरूरी है ताकि भ्रष्टाचार का सामना किया जा सके।
यह भी आवश्यक है कि सरकारी विभागों और ठेकेदारों को जवाबदेह बनाया जाए, ताकि विकास कार्यों में गुणवत्ता बनी रहे और जनता का विश्वास प्रशासन पर कायम रहे।